तलफ़्फ़ुज़ – हिंदी वर्णों के उच्चारण स्थान

किसी भी शब्द के उच्चारण में
मूँह के भीतर जुबान का अलग-अलग
तरह से इस्तेमाल होता है जिस से
हवा विभिन्न तरीक़ों से दबाई जाती है!
उसी जगह को उस स्वर या व्यंजन
का उच्चारण स्थान कहते हैं ।
लफ़्ज़ों के सही उच्चारण से ही ज़ुबान की ख़ूबसूरती निखर कर आती है। … More तलफ़्फ़ुज़ – हिंदी वर्णों के उच्चारण स्थान

अंजुमन

सफ़-ब-सफ़,
चाँद से मुझ तक
सभी तारे थे खड़े!

ये छोटी सी गुमशुदा नज़्म 26 जुलाई 1993 में लिखी गई थी – नब्बे के दशक की बेतरतीब चीज़ों को अब झाड़-पोंछ कर जाले उतारने का काम जारी है! … More अंजुमन

तर्क-ए-तअल्लुक़

बड़ी मुद्दत के बाद आज फिर उठा है क़लम,
और सूखी थी सियाही जो,
मुस्कुराई है!
मगर फिर भी है बेबसी ऐसी,
वो सभी कुछ जो कहना चाहा सदा,
आज कागज़ पे उतारूँ कैसे? … More तर्क-ए-तअल्लुक़

दर्द-ओ-अल्फ़ाज़

चले गए हैं छोड़ कर मेरे अल्फ़ाज़ मुझे,
अभी समेटना था उनमें कितना दर्द मझे,
हूँ डर रही कहीं रुस्वा ही न कर दें मुझको,
अब तो अश्कों की ज़ुबानी है बयाँ होने लगा… … More दर्द-ओ-अल्फ़ाज़