बहुत सी अपनी लिखी चीज़ें क़ैद हैं गुमशुदा डाइरियों के पन्नों पर – कुछ को यहाँ हाज़िरी मिल गई है, बाक़ी पहुँचती ही होंगी!

- ग़ज़लें: शमअ हिंदुस्तानी के तख़ल्लुस से। शमा तो अपने नाम से चुरा लिया! और क्योंकि ख़ुद को हमेशा हिंदुस्तानी पहले और दिल्ली-वासी बाद में माना, तो देहलवी न होकर शमा हिंदुस्तानी हो गई! ये अलग बात कि किस्मत ने आख़िर अमेरिका में लाकर पटक दिया!]
- नज़्में
- क़तआ’त
- अशआ’र
- हाइकु
- हाइबुन
- त्रिवेणी
- नवगीत
- विविध
- मुक्तक
- कुछ नुक्कड़ नाटक [इन्हें अभी देवनागरी में नहीं बादल पाई हूँ – रोमन लिपि में हैं]:
- Gyano Ka Gyaan: Jaccha-Baccha ki sehat par [ज्ञानो का ज्ञान – जच्चा-बच्चा की सेहत पर]
- Mata Aa Gayi Re: Mirgi ki beemari par [माता आ गई रे – मिर्गी की बीमारी पर]
- किस्से-कहानियाँ